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अनोखा बंधन

Updated: Nov 28

“अरे! सोनल ये कैसी नाराज़गी है? कुछ बोलोगी तो सही?” सोनल के पीछे-पीछे चलते हुए  विशाल ने बड़े प्यार से पूछा। “देखो, कहीं ऐसा न  हो कि मैं पुकारता रह जाऊँ और तुम इतनी दूर चली जाओ कि मेरी आवाज़ तुम तक पहुँच ही न पाए।” विशाल की बात सुनते ही सोनल झट से  पलटकर बोली “आवाज़ तो क्या मुझे तो तुम्हारी  दिल की धड़कने भी साफ़ सुनाई देती है, फिर दूरियों से रूह के रिश्ते और भी प्रगाढ़ हो जाते हैं" सोनल ने संयत स्वर में कहा।


“खैर यह बताओ आज फिर तुम मेरा बर्थ-डे भूल गए ना?”


स्नेहा बोयापल्ली द्वारा कवर फ़ोटो
स्नेहा बोयापल्ली द्वारा कवर फ़ोटो

“तुम्हारा जन्मदिन मैं कैसे भूल सकता हूँ?” कहते हुए विशाल ने सोनल के सामने सरप्राईज़ गिफ्ट पेश किया। सोनल झट से गिफ्ट विशाल के हाथों से छीनते हुए बोली “बड़े सरप्राईज़ देते हो, एक दिन मैं तुम्हें ऐसा सरप्राईज़ दूँगी कि देखते रह जाओगे।”


“जाने भी दो, विशाल का दिल कितना विशाल है ये तुम क्या जानोगी?”


“सोनल आज किसी बड़े रेस्तोरां में चलते हैं तुम्हरा बर्थ-डे सेलिब्रेट करने” विशाल ने प्रस्ताव रखा।  रेस्तरां के रूमानियत भरे माहौल मे सोनल  ने  विशाल से पूछा ”शादी के बारे में क्या सोचा है विशाल?”


“बस नये जॉब मिलते ही मैं शादी की बात करूँगा घर में, तुम चिंता मत करो।” विशाल ने दिलासा देते हुए उत्तर दिया। विधि के विधान से  अनभिज्ञ, सोनल और विशाल अनजान थें कि ये उनकी आखरी मुलाकात है। खुशियों की बारिश में सराबोर होकर जैसे ही सोनल घर पहुँची उसने देखा कि माँ-पिताजी किसी गंभीर विषय पर चर्चा कर रहे थें। सोनल को सामने देख बाबूजी का चेहरा एकाएक दमक उठा।

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