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मरी हुई कविताएँं

मेरी कलम से क्रांति लिख गई,

जब-जब मुझे समर्पण लिखना था।


मेरा कागज कलम छीना गया,

तो अब मैं मंच पर बोलने लगी हूँं।

मेरे लिखने पे सवाल किए गए,

अब बोलने पे किए जाएंगे।

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